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लेखनी प्रतियोगिता -02-May-2023-स्वाभिमान


सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
कविता
शीर्षक -- 🌹 स्वाभिमान 🌹
दिनांक -- ०२.०५.२०२३
दिन -- मंगलवार
दैनिक प्रतियोगिता 
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जब शरीर ही  साथ ना दे, तो ये प्राण  किस  काम का,
जब गैरत ही  नहीं बची, तो ये सम्मान  किस काम का।

सौभाग्य ने  दिन  दिखाया, बड़ भाग्य  मनुष तन पाया,
गर फितरतें हो पशुओं की, तो इन्सान किस काम का।

ढोंगियों पाखंडियों की खिदमतें, करते रहे हम उम्र भर,
गर विश्वास ही नहीं, तो आरती अज़ान किस काम का।

हम कविताएँ खूब लिखते, मातृ पितृ दिवस भी मनाते,
घर में माँ बाप लाचार, पूजते भगवान  किस काम का।

यूँ तो  जीने वाले कई, बेगैरत इन्सान भी  हमने देखे हैं,
गर मान ही नहीं बचा, तो  स्वाभिमान  किस काम का।

बनकर पार्थ  गांडीव  संभालो, ये वक्त नहीं है रोने का,
जब धर्म ही साथ नहीं, तो महाप्रयाण किस काम का।

बनकर  नीलकंठ  जो, अपमानों का  हलाहल  पीते हैं,
मान  उन्हें  ही  मिलता है, जो  स्वाभिमान  से  जीते हैं।

                      🙏🌷 मधुकर 🌷🙏


(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
(स्वरचित मौलिक रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)

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4 Comments

Abhinav ji

03-May-2023 07:52 AM

Very nice 👍

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बेहतरीन सृजन और अभिव्यक्ति

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Punam verma

03-May-2023 07:09 AM

Very nice

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